आरएसएस प्रमुख मोहन भागवतजी का बयान वर्ण-जाती के बयानका विरोध निंदनीय-आदी शंकराचार्य द्वारा हिन्दू धर्म पुनस्थापना पर यहीं बात पुरजोर रखी
दिनांक -७ फरवरी २०२३
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि भागवत किस आधार पर यह बयान दे रहे थे, यह तो उनसे बात करके ही पता चलेगा. गीता में खुद भगवान कृष्ण ने जिक्र किया है कि वर्ण उन्होंने बनाए हैं मगर यह वर्ण व्यवस्था व्यवसाय और आजीविका के आधार थी यह बात शंकराचार्य टाल दी और भागवत जी का यह कथन कि संत रोहिदास हमेशा धर्म के अनुसार कर्म करने की सीख दी। वे कहते थे पूरे समाज को जोड़ो, समाज के उन्नति के लिए काम करना ही यही धर्म है। बस अपने बारे में सोचना और पेट भरना ही धर्म नहीं है। इस पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती व अयोध्या के महंत राजू दास किसलिए चुप है यह सवाल किशोर तिवारी ने उपस्थित किया है
महंत राजू दास राम शालिग्राम शिला की शोभायात्रा पर शंकराचार्य के बयान पर भुमिका स्पष्ट करें
भाजप द्वारा २०२३ -२०२४ चुनाव के लिए जो शालिग्राम शिला की शोभायात्रा निकल कर और उसकी प्रतिमा बनाने को लेकर छिड़े विवाद में शंकराचार्य ने कहा कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट जल्दबाजी में व्यवस्था तोड़ रहा है। उन्होंने कहा, 'आपने पहले बता दिया कि यह शालिग्राम शिला है। शालिग्राम शिला की हम लोग पूजा करते हैं। अब पूजा करने की चीज पर आप छैनी-हथौड़ी चलाओगे तो किसे स्वीकार होगा।
गर्भ में बच्चा आता है तो पहले घरवालों को, फिर बाहर वालों को पता चलता है। उत्सव आदि मनाने लगते हैं, लेकिन जब तक आंख, नाक, कान, मुंह बन जाने तक वह बाहर नहीं आता। तब तक जनता उसे नहीं देख सकती। भगवान ने यह व्यवस्था बनाई है तो उसे हम क्यों नहीं स्वीकार कर लेते। हम भी उसी पत्थर से मूर्ति बना लेते। बाद में उसकी शोभायात्रा निकालते। अयोध्या के महंत राजू दास शंकराचार्य के बयान पर किसलिए चुप है यह सवाल भी किशोर तिवारी इस वक्त दागा।