Tuesday, February 7, 2023

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवतजी का बयान वर्ण-जाती के बयानका शंकराचार्य द्वारा विरोध निंदनीय - महंत राजू दास राम शालिग्राम शिला की शोभायात्रा पर शंकराचार्य के बयान पर भुमिका स्पष्ट करें -शिवसेना प्रवक्ता किशोर तिवारी

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवतजी का बयान वर्ण-जाती के बयानका विरोध निंदनीय-आदी शंकराचार्य द्वारा हिन्दू धर्म पुनस्थापना पर यहीं बात पुरजोर रखी 

दिनांक -७ फरवरी २०२३ 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवतजी का हालही में संत रोहीदास के जयंती पर आयोजीत कार्यक्रममें जो  बयान  दिया कि जाति भगवान ने नहीं बनाई है, जाति पंडितों ने बनाई जो गलत है। भगवान के लिए हम सभी एक हैं। हमारे समाज को बांटकर पहले देश में आक्रमण हुए, फिर बाहर से आए लोगों ने इसका फायदा उठाया यह बयान का परिपेक्ष नहीं समझते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की ओर से पंडितों और जाति-संप्रदाय को लेकर दिए गए बयान पर आलोचना शुरू हो गई है व अयोध्या के महंत राजू दास और शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस पर सवाल उठाए हैं,शिवसेना प्रवक्ता किशोर तिवारी ने मोहन भागवतजी बयान समर्थन करते हुए और आजसे २५०० साल पहले जन्मानुसार जाती वर्ण बली पाखंड का अतिरेक हुआ था और सारे भारत वर्षमें भगवान गौतम बौद्ध ने अपने अनुयायी बनाकर ,वेद को प्रमाण न मानने अष्टांग मार्ग देकर सबके लिए धर्मशात्र  देववाणी लाकर स्थापित  किया  तब कुमारील भट और मंडन मिश्र के सलाहसे आदी शकरचार्य वेदांत नुसार सनातन धर्मकी पुनर्स्थापना  करते वक्त जो बात आज मोहन भागवतजी कहते है वह बात रखी लेकीन आज शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती व अयोध्या के महंत राजू दास का मोहन भागवतजी के बयान पर आया हुआ विरोध सारा परिपेक्ष जाने बिना सियासत को हवा देने वाला है इसे RSS नेता सुनील अंबेडकर ने सोमवार को कहा कि मोहन भागवत जब पंडितों के बारे में बात करते हैं तो उनका मतलब कुछ विद्वानों से होता है यह स्पष्टीकरण आने के टालना जाहिए था। 

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि भागवत किस आधार पर यह बयान दे रहे थे, यह तो उनसे बात करके ही पता चलेगा. गीता में खुद भगवान कृष्ण ने जिक्र किया है कि वर्ण उन्होंने बनाए हैं मगर यह वर्ण व्यवस्था व्यवसाय और आजीविका के आधार थी यह बात शंकराचार्य टाल दी और भागवत जी का यह कथन  कि संत रोहिदास हमेशा धर्म के अनुसार कर्म करने की सीख दी। वे कहते थे पूरे समाज को जोड़ो, समाज के उन्नति के लिए काम करना ही यही धर्म है। बस अपने बारे में सोचना और पेट भरना ही धर्म नहीं है। इस पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती व अयोध्या के महंत राजू दास किसलिए चुप है यह सवाल किशोर तिवारी ने उपस्थित किया है 

 महंत राजू दास राम शालिग्राम शिला की शोभायात्रा पर  शंकराचार्य के  बयान पर भुमिका स्पष्ट करें 

भाजप द्वारा २०२३ -२०२४ चुनाव के लिए जो  शालिग्राम शिला की शोभायात्रा निकल कर  और उसकी प्रतिमा बनाने को लेकर छिड़े विवाद में शंकराचार्य ने कहा कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट जल्दबाजी में व्यवस्था तोड़ रहा है। उन्होंने कहा, 'आपने पहले बता दिया कि यह शालिग्राम शिला है। शालिग्राम शिला की हम लोग पूजा करते हैं। अब पूजा करने की चीज पर आप छैनी-हथौड़ी चलाओगे तो किसे स्वीकार होगा।

गर्भ में बच्चा आता है तो पहले घरवालों को, फिर बाहर वालों को पता चलता है। उत्सव आदि मनाने लगते हैं, लेकिन जब तक आंख, नाक, कान, मुंह बन जाने तक वह बाहर नहीं आता। तब तक जनता उसे नहीं देख सकती। भगवान ने यह व्यवस्था बनाई है तो उसे हम क्यों नहीं स्वीकार कर लेते। हम भी उसी पत्थर से मूर्ति बना लेते। बाद में उसकी शोभायात्रा निकालते। अयोध्या के महंत राजू दास  शंकराचार्य के  बयान पर किसलिए चुप है यह सवाल भी किशोर तिवारी इस वक्त दागा। 


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