निखिल गडकरी और सारंग गडकरी:भारत के इथेनॉल बाज़ार में 0.६ % से भी कम हिस्सेदारी होने के बावजूद यह असत्य कोण फैला रहा है -किशोर तिवारी
तारीख -३ सितंबर २०२५
सूचना युद्ध के युग में, धारणाएँ अक्सर वास्तविकता पर भारी पड़ती हैं इसका अनुभव मुझे नितिन गडकरी के खिलाफ जो उन्हके पुत्र निखिल गडकरी और सारंग गडकरीएक सुनियोजित विवाद का केंद्र बन गए हैं उनके पारिवारिक नाम और इथेनॉल क्षेत्र में उनके प्रवेश ने उन्हें राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों, विदेशी लॉबी और भ्रामक सूचना देने वाली मशीनों के लिए आसान निशाना बना दिया है लेकिन मैंने जब इस घृणित प्रचार का सत्य जानना प्रयास किया तो यह तथ्य स्पष्ट होते हुए जो आज किसान नेता और विपक्ष की प्रमुख आवाज किशोर तिवारी ने दुनिया सामने रखे जो हर भारतीय को समझना जाहिएनिखिल गडकरी और सारंग गडकरी इथेनॉल व्यवसाय भारत के कुल इथेनॉल उत्पादन में 0.६ % से भी कम का योगदान करते हैं। वे शीर्ष २० उत्पादकों में भी नहीं आते। उनकी कंपनियाँ विविध उद्यम हैं, जिनके समेकित राजस्व में इथेनॉल का योगदान केवल ५ -१ ० % है। भारत की हरित ईंधन क्रांति पर पिछले ४० साल्से खुली चर्चा करने वाले नितिन गडकरी को ध्रुवीकृत माहौल में, देश के ऊर्जा भविष्य को नियंत्रित करने वाले एकाधिकारवादियों के षड़यंत्र रूप में सामने आ रहा है। जब मै इस सुनियोजित विवाद का सत्य देखता हूँ तो वह एक कॉर्पोरेट घोटाला नहीं, बल्कि पश्चिमी तेल माफिया द्वारा चलाया जा रहा एक गहन सरकारी अभियान है जो भारत की इथेनॉल क्रांति को बदनाम करने के लिए बेताब है, जिससे उनके वैश्विक पेट्रो-डॉलर प्रभुत्व को खतरा है यह गंभीर सत्य किशोर तिवारी उजागर किया है '.
भारत में इथेनॉल: एक नीति-संचालित आवश्यकता बल देना गुनाह साबित हो रहा है
भारत सरकार ने का पंतप्रधान मनमोहन सिंग के कल में लक्ष्य २०२५ तक २० % इथेनॉल मिश्रण (ई20) करना है। इसके लिए इथेनॉल उत्पादन में बड़े पैमाने पर वृद्धि की आवश्यकता अपर जोर दिया । इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, चीनी मिलों, कृषि उद्योगों और निजी कंपनियों को इथेनॉल उत्पादन में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। देश भर में सैकड़ों कंपनियाँ इसमें शामिल हैं। इनमें से, सियान एग्रो इंडस्ट्रीज (निखिल गडकरी से जुड़ी) और मानस एग्रो (सारंग गडकरी से जुड़ी) बहोत छोटी कंपनियाँ शामिल है जो राष्ट्रीय इथेनॉल उत्पादन में 0.६ % से भी कम सियान और मानस मिलकर भारत के इथेनॉल उत्पादन में एक अंश का योगदान करते हैं लेकिन नितिन गडकरी १०० टक्का बदनाम किया जा रहा । इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और प्रमुख चीनी समूह जैसी दिग्गज कंपनियाँ इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए हुए हैं।आलोचकों का दावा है कि सियान एग्रो का जून २०२५ का राजस्व जून २०२४ की तुलना में "बढ़ा-चढ़ाकर" बताया गया जा रहा लेकिन सच्चाई यह है कि उनकी सहायक कंपनियों का अधिग्रहण सितंबर २०२४ में किया गया था। स्वाभाविक रूप से, जून २०२५ के समेकित परिणामों में वे अधिग्रहण शामिल हैं, जबकि जून २०२४ के परिणामों में नहीं। कोई भी लेखाकार इस बात की पुष्टि करेगा कि यह मानक समेकन है, हेरफेर नहीं है यह चौकानेवाली बात आज किशोर तिवारी दुनिया के सामने रखी
अगस्त -सितम्बर २०२५ यह षड़यंत्र किसलिए
अगर आंकड़े स्पष्ट रूप से साबित करते हैं कि गडकरी के बेटे बड़े क्षेत्र में छोटे खिलाड़ी हैं, तो इतना शोर क्यों है? इसका जवाब उनके व्यवसायों में नहीं, बल्कि उनके पिता की राजनीति में है।नितिन गडकरी पिछले ४० सालसे भारत में इथेनॉल के सबसे मुखर समर्थक रहे हैं। उन्होंने लगातार वैश्विक तेल हितों को उठाया है, स्वच्छ विकल्पों, ग्रामीण सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की वकालत की है। इथेनॉल मिश्रण को बढ़ावा देकर, वे पश्चिमी तेल माफिया को सीधे चुनौती देते हैं जो एक ऐसा गिरोह जो भारत के बड़े पैमाने पर कच्चे तेल के आयात पर फलता-फूलता है जीनके आसपास दशकों से, वैश्विक व्यवस्था तेल के इर्द-गिर्द घूमती रही है। पेट्रो-डॉलर प्रणाली ऊर्जा व्यापार में पश्चिमी प्रभुत्व सुनिश्चित करती है। अगर भारत में इथेनॉल का विस्तार किया जाए, तो यह निर्भरता कम हो जाती है। इथेनॉल मिश्रण में हर १ % की वृद्धि तेल आयात से अरबों डॉलर की बचत में तब्दील हो जाती है। इसे २० % से गुणा करें, और आप समझ जाएँगे कि वैश्विक तेल लॉबी इस निर्णय से किसलिए घबराई हुई हैं।लेकिन संघ विरोधी अच्छे पत्रकार अपने आप को गंदी राजनीति में, किसी नेता को बदनाम करने का सबसे आसान तरीका अपनाते है निर्दोष परिवार को निशाना बनाना है बहित ही दुर्भाग्यपूर्ण है ,तिवारी इस इथेनॉल विवाद पर अपनी बेबाक राय रखी ।
तेल माफिया नितिन गडकरी के खिलाफ षड़यंत्र कैसे रच रहे है
पश्चिमी तेल माफिया जानता है कि इथेनॉल उनके मुनाफ़े के लिए ख़तरा है। अगर भारत २० % मिश्रण हासिल कर लेता है तो भारत को विदेशी मुद्रा में सालाना करीबन ६ अरब डॉलर की बचतहोने वाली है और कृषि उपज के लिए एक नया, स्थिर बाज़ार मिलेगा। किशोर तिवारी ने कहा क्या उद्यमिता को अपराध मानते है और इस विवाद के मूल में एक खतरनाक सवाल है: क्या राजनेताओं के बच्चों को उद्यमिता से प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए?,निखिल गडकरी और सारंग गडकरी को किसी भी नागरिक की तरह व्यवसाय चलाने का पूरा अधिकार है। उनके संचालन पर भी अन्य लोगों की तरह ही कानून, ऑडिट और खुलासे लागू होते हैं। केवल इथेनॉल क्षेत्र में मौजूद होने के कारण उन्हें बदनाम करना न्याय नहीं, बल्कि पूर्वाग्रह है।अगर उनके व्यवसायों की राष्ट्रीय हिस्सेदारी ५० % होती, तो जाँच समझ में आती। लेकिन 0.६ % से भी कम होने पर, यह आक्रोश बेतुका है। यह भ्रष्टाचार का नहीं है। यह राजनीतिक बदनामी का है ,तिवारी आगे कहा। नितिन गडकरी यह साफ और स्पष्ट विचारधारा के इंसान है उन्हें १९७४ से करीब जानता हूँ और मुझे मेरा विवेक बाध्य करता है की मुझे यह सत्य बारबार बोलना चाहिए बिकी हुई मीडिया उसे कितनाभी दबाएँ ,तिवारी आखरी में जोड़ा।
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